Wednesday, November 7, 2012

अदरक




संस्कृत में अदरक को विश्व औषध नाम दिया गया है l अदरक वातघं, दीपक, पाचक, सारक, चक्षुष्य, कंठ्य, और पौष्टिक है l भेदक गुणों के कारण यह कृमि का नाश करता है और उन्हें मलद्वार से बहार निकाल देता है l अदरक आँतों के लिए एक उत्तम टॉनिक है l अदरक का रस निरापद एवं प्रति-प्रभावों से रहित है l
भोजन के समय से आधा घंटा पूर्व यदि किंचित सेंध नमक और कुछ नींबू की बूँदें मिलकर तीन-चार चम्मच अदरक का रस पिया जाये तो भूख खुलती है l इसके रस से पेट में पाचक रसों का योग्य प
्रमाण में स्त्राव होता है l इससे पाचन भलीभान्ति होता है और गैस उत्पन्न नहीं होती l यह जुकाम-सर्दी को समूल नष्ट कर देता है l ह्रदय के विकारों को दूर करता है l और सभी प्रकार के उदार रोगों को शान्त कर देता है l अदरक का रस सुजन, मूत्र-विकार, पीलिया, अर्श, दमा, खाँसी, जलोदर आदि रोगों में भी लाभदायक होता है l आयुर्वेद-विशेषज्ञों का मत है कि अदरक के नियमित सेवन से जीभ एवं गले का कैंसर नहीं होता l
 
 
 

No comments:

Post a Comment